Nada India Foundation द्वारा समर्थित ARPAN परियोजना एक ऐसा प्रयास है जिसमें अनुभव आधारित नेतृत्व (peer-led leadership) को नशा उन्मूलन, Tuberculosis, HIV/AIDS और गैर-संक्रामक बीमारियों (NCDs) से जुड़ी उच्च जोखिम व्यवहारों को कम करने के लिए सक्षम बनाया गया है। इस परियोजना ने हरियाणा में Peer Led NGO नेटवर्क के गठन की नींव रखी, जो आज पुनर्वास सेवाओं की दुनिया में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहा है — एक ऐसा दृष्टिकोण जो बंद दरवाज़ों की नीति से हटकर खुले संवाद, निगरानी और मानव-सम्मान आधारित सहभागिता पर आधारित है।
💠 ARPAN: दिल से नेतृत्व, दिल तक पहुँच
Nada India यह मानता है कि "जो दिल से निकलता है, वही दिल तक पहुँचता है।" पुनर्वास केवल नीतियों और प्रक्रियाओं का विषय नहीं, बल्कि मानव संबंधों, करुणा और सामुदायिक स्वामित्व के ज़रिए आशा और अवसर निर्माण की प्रक्रिया है।
ARPAN के अंतर्गत प्रशिक्षित पीयर लीडर जैसे श्री करमवीर, जिन्होंने खुद एक लंबी रिकवरी यात्रा पूरी की है, आज हरियाणा के सोनीपत में संघ समाज कल्याण सेवा समिति के माध्यम से एक सफल Peer Led Rehabilitation Center चला रहे हैं। लेकिन हाल ही में करमवीर ने एक अनुभव साझा किया जो काफी चिंताजनक भी था और चिंतनशील भी।
प्रत्येक माह जब ज़िला प्रशासन, पुलिस अधिकारी और समाज कल्याण विभाग के लोग दस्तावेज़ जांच के लिए केंद्र पर आते हैं, तो वहाँ उपस्थित मरीज़ों में भय का वातावरण बन जाता है। जबकि ये निरीक्षण केवल दस्तावेज़ देखने और अनुदान की अनुशंसा तक सीमित होने चाहिए।
🧭 निरीक्षण नहीं, सहभागिता — सिखने और सिखाने की प्रक्रिया
Nada India मानता है कि पुनर्वास केंद्रों के लिए यह समय है कि निरीक्षण केवल एक "चेकलिस्ट" न रहकर एक द्वि-दिशात्मक सीखने की प्रक्रिया बन जाए। हाल ही में दिल्ली के Muskan Foundation *Dr. Bharat Bhushan में ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला जब Ministry of Social Justice and Empowerment की Project Management Unit (PMU) ने केंद्र का निरीक्षण किया। इस प्रक्रिया में उन्होंने केवल रिकॉर्ड्स ही नहीं देखे बल्कि beneficiaries, peer educators और प्रोजेक्ट टीम से संवाद किया और Muskan टीम के प्रयासों की सराहना की।
यह न केवल मंत्रालय की कार्यपद्धति में एक सकारात्मक बदलाव है, बल्कि NGO क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं को यह विश्वास भी देता है कि मंत्रालय सामुदायिक हित में प्रतिबद्ध है।
🛑 'Closed Door' नीति: सबसे बड़ी बाधा
Nada India ने हाल ही में एक पोस्ट में बताया कि कैसे Bengaluru के एक निजी पुनर्वास केंद्र में एक मरीज़ के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। यह दर्शाता है कि जब पुनर्वास को एक "बंद दरवाज़े" की प्रक्रिया बना दिया जाता है, तो हम एक व्यक्ति को मरीज़ और इंसान के रूप में पहचानने में असफल हो जाते हैं।इसलिए ARPAN मॉडल यह ज़ोर देता है कि rehabilitation open, humane और peer-led हो, जहाँ मरीज़ सेवा का उपभोक्ता नहीं बल्कि उसका सह-निर्माता हो।
🌿 निष्कर्ष: भविष्य की ओर एक नई सोच
आज जब Nada India जैसे संगठन सरकार और समाज के बीच पुल का काम कर रहे हैं, तब ज़रूरत है कि निगरानी को केवल निरीक्षण न समझा जाए, बल्कि म्यूचुअल लर्निंग का मंच बनाया जाए। ARPAN का सफर इसी सोच की बुनियाद पर आगे बढ़ रहा है।
सहयोग, संवाद और सम्मान — यही पुनर्वास की असली पहचान है।
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📽️ वीडियो लिंक: Muskan Foundation Inspection
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